'' पिता , पापा ''
''मेरी इज़्ज़त , मेरी शोहरत
मेरा रुतबा , और मेरे मान है पिता
मुझ को हिम्मत देने वाले
मेरे अभिमान हैं मेर पिता ''
आमतौर पर एक बच्चे का जुड़ाव सबसे अधिक उसके माता-पिता से होता है क्योंकि उन्हीं को वो सबसे पहले देखता और जानता है।माँ-बाप को बच्चे का पहला स्कूल भी कहा जाता है। सामान्यत: बच्चा अपने पिता को सच्चा हीरो और अपने जीवन का एक सबसे अच्छा दोस्त समझता है जो उसे सही रास्ता दिखाता है।
वो व्यक्ति जिसका मैं अपने जीवन में सदा प्रशंसा करता हूँ वो केवल मेरे प्यारे पिता हैं। मैं आज भी अपने पिता के साथ के सभी बचपन के पलों को याद करता हूँ। वो मेरी खुशी और आनन्द के वास्तविक कारण हैं। मैं जो भी हूँ उन्हीं की वजह से क्योंकि मेरी माँ हमेशा किचन और दूसरे घरेलू कार्यों में व्यस्त रहती थीं और ये ‘मेरे पिता’ हैं जो मेरे और मेरी बहन के साथ खुशी मनाते हैं। मैं समझता हूं कि वो दुनिया के सबसे अलग पिता हैं। मैं अपने जीवन में ऐसे पिता को पाकर खुद को बहुत धन्य मानता हूं। मैं हमेशा ईश्वर को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे ऐसे अच्छे पिता के परिवार में जन्म लेने का अवसर दिया।.
वो बहुत ही विनम्र और शांतिपूर्ण व्यक्ति हैं। वो कभी मुझे डाँटते नहीं हैं और मेरी सभी गलतियों को सरलता से लेते हैं तथा बहुत विनम्रता से मेरी सभी गलतियों का मुझे एहसास कराते हैं। वो हमारे परिवार के मुखिया हैं और बुरे समय में हरेक पारिवारिक सदस्य की मदद करते हैं। मुझे बताने के लिये वो अपने जीवन की कमियाँ और उपलब्धियों को साझा करते हैं। ऑनलाइन मार्केटिंग का उनका अपना व्यवसाय है फिर भी उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिय कभी दबाव नहीं बनाते हैं या उसके प्रति आकर्षित करते हैं, बजाय इसके जो भी मैं अपने जीवन में बनना चाहता हूँ उसके लिये वो हमेशा मुझे बढ़ावा देते हैं। वो वास्तव में एक अच्छे पिता हैं इसलिये नहीं कि वो मेरी मदद करते हैं बल्कि अपने ज्ञान, मजबूती, मददगार स्वाभाव और खासतौर से लोगों को सही तरीके से संभालने की वजह से।.
वो हमेशा अपने माता-पिता अर्थात् मेरे दादा-दादी का सम्मान और हर समय उनका ध्यान देते हैं। मुझे आज भी याद है जब मैं छोटा था, मेरे दादा-दादी आमतौर पर ‘मेरे पिता’ की बदमाशियों के बारे में बात करते थे लोकिन वो मुझे कहते थे कि तुम्हारे पिता अपने जीवन में बहुत अच्छे इंसान हैं, उनकी तरह बनो। ये ‘मेरे पिता’ हैं जो परिवार में सभी को खुश देखना चाहते हैं और हमेशा पूछते हैं जब भी कोई दुखी होता है तो उसकी समस्या को सुलझाते हैं। वो मेरी माँ को बहुत प्यार करते हैं और ख्याल रखते हैं तथा उन्हें घरेलू कामों से थक जाने पर आराम करने की सलाह देते हैं। ‘मेरे पिता’ मेरी प्रेरणा हैं, मेरे स्कूल के कामों के लिये वो हमेशा मेरी मदद को तैयार रहते हैं और क्लास में मेरे व्यवहार और प्रदर्शन के ऊपर चर्चा करने के लिये मेरे पीटीएम में भी जाते हैं।.
‘मेरे पिता’ बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे जबकि अपने धैर्य, कड़ी मेहनत और मददगार स्वाभाव के कारण वर्तमान में वो शहर के अमीरों में से एक हैं। मेरे दोस्त आमतौर पर ऐसे पिता का पुत्र होने पर मुझे बहुत सौभाग्यशाली कहते हैं। मैं सामान्यत: ऐसे टिप्पणियों पर हँसता हूँ और अपने पिता को ये बताता हूँ, वो भी हंसते हैं, कहते हैं, कि वो सच नहीं कहते लेकिन सच्चाई ये है कि मैं खुश़नसीब हूँ कि मेरे पास तुम्हारे जैसा बेटा है। वो मुझसे कहते हैं कि वो बनो जो तुम चाहते हो और हमेशा खुद पर विश्वास करो।.
अच्छा लगा तो अपनी राय जरूर लेखी धन्यवाद........
संदीप कुमार
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