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Saturday 18 February 2017

कबीर और रहीम के दोहों का रिमिक्स: कलयुगी दोहे by sandeep kumar

आज रिमिक्स का जमाना है, रफी से लेकर रहीम तक के गानों और दोहों का रिमिक्स किया जाता है. अब गानों का रिमिक्स तो आपने बहुत बार देखा सुना और पढ़ा होगा लेकिन अब तो दोहों का भी रिमिक्स होने लगा है. हाल ही में इंटरनेट पर मुझे कुछ खास दोहे मिले जो आपको बहुत मजेदार लगेंगे. यह दोहे यूं तो रहीम और कबीर दास जैसे संतों का मजाक उड़ाते प्रतीत होते हैं लेकिन हमें यह नही&ं भूलना चाहिएं कि ऐसी तुच्छ चीजें इन महान संतो का बाल भी बांका नहीं कर सकती. हमारे दिल से कबीर और रहीम के दोहे के प्रति आस्था का अंत इन व्यंग्यों से नहीं होगा.

मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए,
महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय,
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
गुरु पुलिस दोऊ खड़े, काके लागूं पाय,
तभी पुलिस ने गुरु के, पांव दिए तुड़वाय…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद,
मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
नेता को कहता गधा, शरम न तुझको आए,
कहीं गधा इस बात का, बुरा मान न जाए…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
बूढ़ा बोला, वीर रस, मुझसे पढ़ा न जाए,
कहीं दांत का सैट ही, नीचे न गिर जाए…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
हुल्लड़ खैनी खाइए, इससे खांसी होय,
फिर उस घर में रात को, चोर घुसे न कोय…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
हुल्लड़ काले रंग पर, रंग चढ़े न कोय,
लक्स लगाकर कांबली, तेंदुलकर न होय…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
बुरे समय को देखकर, गंजे तू क्यों रोय,
किसी भी हालत में तेरा, बाल न बांका होय…

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मजेदार मस्तीभरे दोहे: Funny Dohe in Hindi
दोहों को स्वीकारिये, या दीजे ठुकराय,
जैसे मुझसे बन पड़े, मैंने दिए बनाय…


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sandeep kumar

एक मासूम कहानी..

एक व्यक्ति आफिस में देर रात तक काम करने के बाद थका-हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका छोटा सा बेटा सोने की बजाय उसका इंतज़ार कर रहा है . अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा , क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ ?” “ हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?” पिता ने कहा . बेटा – “ पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?” “ इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो ?” पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया . बेटा – “ मैं बस यूँ ही जाननाचाहता हूँ . प्लीज बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं ?” पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा , नहीं बताऊंगा , तुम जाकर सो जाओ “यह सुन बेटा दुखी हो गया …और वह अपने कमरे में चला गया . व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे ने ऐसा क्यों पूछा ……पर एक -आध घंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ , फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , “ क्या तुम सो रहे हो ?”, “नहीं ” जवाब आया . “ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट दिया।
दरअसल दिन भर के काम से मैं बहुत थक गया था .” व्यक्ति ने कहा. सारी बेटा “…….मै एक घंटे में १०० रूपया कमा लेता हूँ……. थैंक यूं पापा ” बेटे ने ख़ुशी से बोला और तेजी से उठकर अपनी आलमारी की तरफ गया , वहां से उसने अपने गोल्लक तोड़े और ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा . “ पापा मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैं आपसे आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? प्लीज आप ये पैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी आ जाइये , मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ .” दोस्तों , इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा अहमयित रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस आपा-धापी भरी जिंदगी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया…

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sandeep kumar

प्यार का मतलब by sandeep kumar

एक दिन आदमी को  उसकी पत्नी ने, जिसके बहोत लम्बे बाल थे उसने उसके लिए एक कंघा खरीदने के लिए कहा ताकि वो अपने बालो की अच्छे से देखभाल कर सके.
उस आदमी ने अपनी बीवी से माफ़ी मांगी और कंघी लेने से मना कर दिया. उसने समझाया की उसके पास अभी उसकी टूटी हुई घडी का पट्टा बिठाने के भी पैसे नहीं है. लेकिन फिर भी उसकी पत्नी जिद पर अडी रही.
गुस्से में वह इंसान काम पर जाने के लिए निकाल गया और जाते-जाते अचानक रास्ते में उसकी नजर एक घडी की दुकान पर पड़ी, उसने सोचा की वह उस दूकान पर अपनी घडी बेच देगा और उसकी पत्नी के लिए कंघा लेकर जायेंगा.
शाम में वो अपने हातो में कंघी लेकर अपने घर आया, पत्नी को कंघी देने ही लगा
लेकिन अचानक अपने पत्नी को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया, क्यूकी उसने अपनी पत्नी को शोर्ट-हेयर (कम बालो) में देख लिया था.
उसने अपने बालो को बेचकर अपने पति की घडी के लिए नया पट्टा ख़रीदा था.
एक दुसरे के प्रति गहरा प्यार देखते हुए अचानक दोनों के आखो से आसू निकलने लगे, ये आसू उनकी ख्वाइश पूरी होने के वजह से नहीं बल्कि उनके एक-दूजे के लिए प्यार को देखकर थे.
सीख :-
प्यार करना मतलब कुछ नहीं है, प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ में करने लायक बनना, ये सब कुछ है. प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना करे.
बल्कि जिस से भी हम प्यार करते है, उस से बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये. क्यूकी जब हम किसी को दिल से प्यार करते है तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते है. की जब दो लोगो के बिच प्यार होता है तब वह किसी दौलत का भूका नहीं होता, वह भूका होता है तो सिर्फ स्नेहभाव का. जिस से भी हम प्यार करते है उनसे हमेशा हमें प्यार से पेश आना चाहिये. एक दुसरे के लिए समय निकलते रहना चाहिये. तभी हम हमारे रिश्ते को सफलता से आगे बढ़ा पाएंगे.
प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलो के बिच हो रहे बड़े से बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है. प्रेमभाव से रहना कभी-कभी हमारे लिए भी फायदेमंद साबित होता है. क्यू की कई बार जो काम हजारो रुपये नहीं कर पाते वही प्यार से बोले गये हमारे दो शब्द काम आते है.
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sandeep kumar

एक अनूठी लव स्टोरी by sandeep kumar

उस लड़के से मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था.
जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस  नहीं किया था.
क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत चंचल थी, इस कारण मैं कॉलेज और घर में लोगों से घिरी रहती थी.
इसके बावजूद कि मैं बहुत बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था.
और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी.
बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी.
मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था.
कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.
मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है.
शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी.
सहपाठी होने की वजह से मेरी और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी.
लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था.
ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था.
मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था.
कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा.
लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास  हो  गया कि  ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है.
उसके प्यार में पागलपन था, मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देता था.
उस लड़के ने  बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा  लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा.
उस दिन हम दोनों कॉलेज जल्दी आ गए थे और क्लास  में कोई नहीं था- ‘’ उसने पूछा क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ ‘’.
पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है.
लेकिन मुझे उसपर पूरा  भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा.
उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी.
उस-ने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा  कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया.
उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुममें एक अच्छा दोस्त देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारे साथ रहूँ.’’
उसने(Usne) इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाई और मैंने हाँ कर दिया.
उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चला गया. मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकती थी.
मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रही कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पकड़ा था.
मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकती थी.
और पूरे दिन उस वाकये को याद करके मुझे हंसी आ रही थी, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रही थी.
मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है.
अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग ली थी.
अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था.
क्यों मैं उसके फोन का इंतज़ार करने लगी थी ? क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रही थी ?
शायद  उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था.
जब  भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना चले उसे पता चल जाता था.
और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था.
एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया.
मेरे हर जन्मदिन पर मुझसे ज्यादा खुश होना, मेरे ऊपर हजारों रुपए मना करने के बावजूद खर्च कर देना, वो दीवाना था मेरा.
उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लिया था.
बाइक पर अक्सर घूमने निकल जाना, कॉलेज बंक करके फिल्म देखने जाना, ये सब हमें अच्छा लगने लगा था.
उसकी पूरी दुनिया बन गई थी मैं, मेरी पूजा करता था वो.
मेरे लिए किसी से पंगा लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचता था वो.
दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे.
प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था.
हमने प्यार की ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए.
वक्त ने करवट लिया, मेरे पिताजी ने 20-21 साल की कम उम्र में हीं मेरी शादी पक्की कर दी.
अंदर से मेरा हाल भी बेहाल था, लेकिन वह मुझसे ज्यादा बेहाल था.
वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था, मेरा साथ पाने के लिए.
लेकिन मैं जानती थी, कि अगर मैं घर से भाग जाती हूँ तो मेरे घर वालों का जीना मुश्किल हो जाएगा.
कड़े मन से मैंने उसके साथ जाने से इंकार कर दिया.
वह हर दिन सैंकड़ो बार कोशिश करता कि मेरे फैसले को बदल पाए, लेकिन मैं नहीं मानी.
मेरी शादी हो गई, हर कोई खुश था…. उस लड़के के सिवा.
अपनी शादी के बहुत महीनों के बाद मेरी उससे मुलाकात हुई.  उसने अपना हाल बेहाल कर लिया था.
उसने कहा कि वो मुझसे मिलने से पहले भी अकेला था और मेरे जाने के बाद फिर अकेला है.
 वो कहता है, कि प्यार की लड़ाई तो वो हार गया है, पर प्यार की जंग जरुर जीतेगा वो.
वो कहता है कि, तुम भले मेरा साथ न दे सको, मेरा प्यार तो मेरे साथ है न.
मेरे प्यार के सहारे उसने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी है.
उस दिन उसने कहा कि उसका प्यार सच्चा है, इसलिए उसका प्यार कभी उसकी कमजोरी नहीं बनेगा.
मुझे अपनी गलती का एहसास है. क्योंकि मेरा प्यार मुझे ज्यादा दुखी है, मैंने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया है.
मैं उस दीवाने के प्यार को सलाम करती हूँ, जिसके पास न मेरा तन है, न मेरा समय न मेरा जीवन पर अब भी वो मुझसे प्यार करता है.
 पर उस दिन उसने मुझसे झूठ बोला था, शायद वह बुरी तरह टूट चुका था.
जबकि उसने खुद को बहुत बहादुर दिखाने की कोशिश की थी.
वह लोगों से दूर होता चला गया था, और लोग उससे दूर होते चले गए थे.
बुरे लोगों से दोस्ती कर ली थी उसने. वह शराब, सिगरेट और ड्रग्स का आदि हो गया था.
वह बुरी तरह डिप्रेशन का शिकार हो गया था. और अंत में एक दिन उसने आत्महत्या कर ली.
ये था इस कहानी का अंत.
मैं न तो जीते जी उसके साथ रह पाई न उसके अंतिम समय में मैं उसका साथ निभा पाई.
उस दौर में जी रहे हैं हम जहाँ दुश्मन तो आसानी से पहचाने जाते हैं.
लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है.

Moral message of the story : प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर.
अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है.
यह कहानी आपको कैसी लगी, यह हमें जरुर बताएँ.
आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.......
sandeep kumar

sweet love story my sandeep kumar

sweet love story my sandeep kumar



वो दिन अभी भी याद आता है जब पापा से बहुत जिद करने के बाद 5 रूपए मांगे थे क्यूंकि क्लास में तुमने कहा था तुम्हे गोलगप्पे बहुत पसंद हैं...और मुझे तुम अच्छी लगती थीं...तुम्हारा और मेरा घर आजू बाजू था और रास्ते में 'कैलाश गोलगप्पे वाला' अपना ठेला लगाता था...घर जाने के दो रास्ते थे तुम दुसरे रास्ते जाती और मैं गोलगप्पे की दुकान वाले रास्ते...उस दिन बहुत खुश था...नेवी ब्लू रंग की स्कूल की पैंट की जेब में १ रुपये के पांच सिक्के खन खन करके खनक रहे थे और मैं खुद को बिल गेट्स समझ रहा था...शायद पांच रुपये मुझे पहली बार मिले थे और तुझे गोलगप्पे खिलाकर सरप्राइज भी तो देना था...
स्कूल की छुट्टी होने के बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर तुमसे कहा- ज्योति, आज मेरे साथ मेरे रास्ते घर चलो ना? हांलाकि हम दोस्त थे पर इतने भी अच्छे नहीं कि तू मुझ पर ट्रस्ट कर लेती...'मैं नी आरी' तूने गुस्से से कहा...'प्लीज चलो ना तुम्हे कुछ सरप्राइज देना है'...मैंने बहुत अपेक्षा से कहा...ये सुन के तू और भड़क गयी और जाने लगी क्यूंकि क्लास में मेरी इमेज बैकैत और लोफर लड़कों की थी...
मैं जा ही रहा था तो तू आकर बोली- रुको मैं आउंगी पर तुम मुझसे 4 फीट दूर रहना....मैंने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है...हम चलने लगे और मैं मन ही मन प्रफुल्लित हुए जा रहा ये सोचकर की तुझे तेरी मनपसंद चीज़ खिलाऊंगा और शायद इससे तेरे दिल के सागर में मेरे प्रति प्रेम की मछली गोते लगा ले...खैर गोलगप्पे की दुकान आई...मैं रुक गया...तूने जिज्ञासावस पूछा- रुके क्यूँ?
मैं- अरे! ज्योति तुम गोलगप्पे खाओगी ना इसलिए।
तू- अरे वाह!!!!!! जरुर खाऊँगी।

तेरी आँखों में चमक थी। और मेरी आत्मा को तृप्ति और अतुलनीय प्रसन्नता हो रही थी। तब १ रुपये के ३ गोलगप्पे आते थे।

मैं- कैलाश भैय्या ज़रा पांच के गोलगप्पे खिलवा दो।
कैलाश भैय्या- जी बाबू जी। (मुझे बुलाकर कान में) गरलफ्रंड हय का?
मैं(हँसते हुए)- ना ना भैया।आप भी
कैलाश भैय्या ने गोलगप्पे में पानी डालकर तुझे पकड़ाया ही था कि तू जोर से चिल्लाई- रवि...रवि
इतने में एक स्मार्ट सा लौंडा(शायद दुसरे स्कूल का) जिसके सामने मैं वो था जैसा शक्कर के सामने गुड लाल रंग की करिज्मा से हमारी तरफ आया और बाइक रोक के बोला- ज्योति मैं तुम्हारे स्कूल से ही आ रहा हूँ। चलो 'कहो ना प्यार है के दो टिकट करवाए हैं जल्दी बैठो'

'हाय ऋतिक रोशन!!!!' कहते हुए तू उछल पड़ी और गोलगप्पा जमीन में फेंकते हुए मुझसे बोली-सॉरी अंकित आज किसी के साथ मूवी जाना है, कभी और।
और मैं समझ गया कि ये "किसी" कौन होगा।

ये कहते हुए तू बाइक में बैठ गई और उस लौंडे से चिपक गई, उसके सीने में अपने दोनों हाथ बांधे हुए।
तू आँखों से ओझल हुए जा रही थी और मुझे बस तेरी काली जुल्फें नज़र आ रही थी। उसी को देखता मेरे नेत्रों में कालिमा छा रही थी।
कैलाश भैय्या की भी आँखे भर आईं थी और मेरे दो नैना नीर बहा रहे थे।
कैलाश भैय्या- छोड़ो ना बाबू जी। ई लड़कियां होती ही ऐसी हैं। अईसा थोअड़े होअत है कि किसी के दिल को शीशे की तरह तोड़ दो।
ये कहकर उन्होंने कपड़ा उठाया जिससे वो पसीना पोछा करते थे और अपने आंसुओं को पोछने लगे। मैं भी रो पड़ा।
अभी 14 गोलगप्पे बचे थे और कैलाश भैय्या जिद कर रहे थे खाने की।
- एक एक गोलगप्पा खाते खाते दिल फ्लैशबैक में जा रहा था।
- दूसरा गोलगप्पा- तू सातवीं कक्षा में क्लास में नई नई आई थी आँखों में गाढ़ा काजल लगाकर और मेरी आगे वाली सीट में बैठ गई थी
- तीसरा गोलगप्पा- तूने सातवीं कक्षा के एनुअल फंक्शन में 'अंखियों के झरोखे से' गाना गाया था।
- चौथा गोलगप्पा- उसी दिन की रात मेरे नयनो में तेरी छवि बस गई थी।
- पांचवा गोलगप्पा- आठवी कक्षा के पहले दिन मैडम ने तुझे मेरे साथ बिठा दिया था।
- छठा गोलगप्पा- मैं बहुत खुश था। तेरे बोलों से हेड एंड शोल्डर्स शैम्पू की खुशबू आती और मैं रोज़ उस खुशबू में खो जाता। यही कारण था मैं आठवी की अर्धवार्षिक परीक्षा में अंडा लाया था। और मैडम ने मुझे हडकाया था।

- सातवाँ गोलगप्पा- मैं फेल हो गया था तो मैडम ने तुझे होशियार लड़की के साथ बिठा दिया था।
- आँठवा गोलगप्पा - मैं उदास हो गया था। और मैंने 3 दिन तक खाना नहीं खाया था।
- नौवा गोलगप्पा- मैं रोज़ छुट्टी के बाद तेरे घर तक तेरा पीछा किया करता था।
- दसवां गोलगप्पा - मैं रोज़ सुबह और शाम तेरे घर के चक्कर काटता था इस उम्मीद की शायद तू घर कइ बाहर एक झलक मात्र के लिए ही सही दिख जाए।
- ग्यारहवां गोलगप्पा - तूने मुझे एक दिन डांट दिया था कि छुट्टी के बाद मेरा पीछा मत किया करो। और उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा था, तबसे मैं दुसरे रास्ते से घर जाने लगा था।
- बारहवां गोलगप्पा - हम नवीं कक्षा में पहुँच गए थे। दिवाली थी। कहो ना प्यार है के गाने रिलीज़ हो गए थे। मैं क्लास में बैठा नेत्रों में तेरी तस्वीर लिए 'क्यूँ चलती है पवन गुनगुनाते रहता था'
- तेरहवां गोलगप्पा - मैंने दिवाली के बाद तुझसे पूछा था हिम्मत जुटाकर कि क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है।तुमने कहा था- नहीं मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।
उस रात मैं बहुत खुश था ये सोचकर की तू कभी तो जानेगी कि तेरे लिए मैं भले ही कुछ भी हूँ मगर मेरे लिए तू वो है जिसके लिए मैं सांस लेता हूँ।
- चौदहवां गोलगप्पा - आज कहो ना पयार है रिलीज हुई है और मैं पापा से पांच रुपये मांगने की जिद कर रहा हूँ। यह भी प्लान बना रहा हूँ कि तुझसे आज दिल की बात कह दूंगा।
- पन्द्रहवां और आखिरी गोलगप्पा - मेरे दिल टूट चूका था और मुहं में गोलगप्पे का पानी था और चेहरे में अश्कों का।

दोस्तों अगर आपको ये Heart Touching Hindi love story- मेरी अधूरी प्रेम कहानी पसंद आई तो इसको जरूर शेयर करे । और आपके पास भी है ऐसी कोई कहानी तो भेज दीजिये हमे ! हम वो कहानी आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे । हमारी ईमेल आईडी - sancymylv@gmail.com !